यह कहना मुश्किल यह है कि सरकारी आदेश किस तरह का था। जिन लोगों को सरकारी आदेश पढ़कर उसका मतलब समझ में आता है उनके लिये यह आवश्यक है कि उसकी प्रति उनके पास हो। संभव है कि वह इंटरनेट पर उपलब्ध हो पर ढूंढना कठिन काम है मगर इतना तय है कि सरकारी आदेश और उनके लागू होने की एक निश्चित पक्रिया है और उसे केवल जानकार ही समझ पाते हैं।
हम बात कर रहे हैं भारत के सूचना प्रसारण मंत्रालय के उस आदेश की जिसमेें राखी के इंसाफ और बिग बॉस के प्रसारण समय का नियमन कर उसे रात्रि 11 बजे से सुबह 5 बजे के बीच तय किया गया था। बिग बॉस प्रसारित करने वाले चैनल ने अपनेक कार्यक्रम का समय ने सूचना न मिलने की बात कहकर नहीं बदला और अगले दिन इस निर्णय के विरुद्ध न्यायालय से स्थगनादेश ले लिया। जबकि राखी का इंसाफ धारावाहिक के बारे में यह पता नहीं कि उसका प्रसारण कब हो रहा है?
हमें न तो बिग बॉस से आपत्ति न राखी के इंसाफ पर! न समय पर न सामग्री पर! हमारा प्रश्न दूसरा ही है। दरअसल सरकारी आदेश-जिसकी जानकारी टीवी चैनलों से मिली थी पर देखा नहीं गया है-में यह कहा गया कि यह दोनों कार्यक्रम रात्रि 11 बजे से सुबह पांच बजे के बीच प्रसारित किये जायें साथ ही इनके अंश भी ऐसे ही प्रसारित हों। जैसे ही बिग बॉस और राखी सावंत के इंसाफ के समय नियमन की बात आई वैसे ही सारे समाचार चैनलों ने उसे मान लिया और दोनों कार्यक्रमों को अंश प्रसारित करने की बजाय कुछ शालीन फोटो देना शुरु कर दिये। सोमवार को जब प्रसारणकर्ता स्थागनादेश ले आया तो उसने अपना समय नहंी बदला मगर क्या इसे अंश प्रसारित करने वालों को भी छूट मिल गयी? क्या अंश प्रसारित करने वालों ने अलग से कोई स्थागनादेश लिया या बिग बॉस कार्यक्रम के प्रसारणकर्ता चैनल ने भी उनके लिये छूट ले ली थी? यह प्रश्न हमारे दिमाग में घुमड़ रहे। खासतौर से तब जब राखी के इंसाफ कार्यक्रम के अंश अब नहीं दिख रहे।
अगर टीवी समाचार चैनलों और समाचार पत्रों के समाचार देखें तो यह आदेश तीन स्तरीय रहा होगा? एक तो बिग बॉस पर समय नियंत्रण, दूसरा राखी के इंसाफ का पर समय नियंत्रण और तीसरा दोनों कार्यक्रमों के अंश प्रसारण पर समय नियंत्रण?
राखी का इंसाफ कार्यक्रम के लिये ऐसी कोई खबर नहीं है कि उन्होंने कोई ऐसा स्थागनादेश लिया हो पर बिग बॉस के प्रसारण और उसके अंश देखकर यह ख्याल तो आया कि क्या समाचारों के नाम पर मनोरंजन थोपने वाले चैनलों को भी क्या छूट मिल गयी? अपने घालमेल में मशगूल प्रचार माध्यमों के कार्यकर्ता न तो इस पर कोई टिप्पणी कर रहे हैं न असलियत पर कोई प्रकाश डाल रहा है।
सरकारी आदेश और उन पर अदालत की कार्यवाही अनेक प्रकार के तकनीकी नियमों के पालन के संदर्भ में होने के साथ ही स्पष्ट होती है। । दोनों में हर संदर्भ में हर बात स्पष्ट रूप से कही जाती है। ऐसे में सरकारी आदेश और अदालत के स्थागनादेश की पूर्ण जानकारी लोगों को इन्हीं प्रचार माध्यमों के माध्यम से देना चाहिए पर यह दायित्व किसी ने नहीं पूरा किया। अगर बिग बॉस का प्रसारणकर्ता स्थगनादेश ले आया है और वह केवल उसी के संदर्भ में है तो अंश का प्रसारण करने वाले समाचार चैनल भी मुक्त हो गये? यकीनन यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है? ऐसे में न्यायविद ही प्रकाश डाल सकते हैं।
--------------कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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